RBI EMI Default Guidelines: भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने लोन लेने वालों के लिए एक सख्त चेतावनी जारी की है। अब अगर आपने लोन लिया है और समय पर उसकी ईएमआई नहीं भरते हैं तो आपकी परेशानी बढ़ सकती है। आरबीआई की नई गाइडलाइन के अनुसार ईएमआई डिफॉल्ट करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है। बैंक अब बिना किसी देरी के कर्जदार को नोटिस भेज सकते हैं और रिकवरी एजेंट नियुक्त कर सकते हैं। आरबीआई का कहना है कि यह फैसला बैंकों को वित्तीय नुकसान से बचाने और कर्जदारों में अनुशासन लाने के लिए जरूरी है। यह नियम सभी प्रकार के लोन जैसे होम लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन आदि पर लागू होंगे।
क्या है नई गाइडलाइन
आरबीआई ने साफ किया है कि अब ईएमआई का पेमेंट एक दिन भी देर होने पर बैंक उसे तुरंत नोटिस कर सकते हैं। पहले बैंकों को कर्जदार को 90 दिन तक का समय देना होता था लेकिन अब इस समय को घटाकर 30 दिन कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अगर आपने समय पर ईएमआई नहीं चुकाई तो बैंक 30 दिन के भीतर ही आपको डिफॉल्टर मान सकते हैं। इसके बाद बैंक कानूनी प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं और आपकी क्रेडिट हिस्ट्री पर इसका सीधा असर पड़ेगा। इससे आपके भविष्य के लोन और क्रेडिट कार्ड पर रोक लग सकती है या ब्याज दर बढ़ सकती है।
डिफॉल्ट पर क्या होगा असर
नई गाइडलाइन के मुताबिक अगर आप समय पर ईएमआई नहीं भरते हैं तो इसका सबसे बड़ा असर आपकी सिबिल स्कोर पर पड़ेगा। एक बार सिबिल स्कोर गिरने के बाद किसी भी बैंक या वित्तीय संस्था से लोन मिलना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा आपके मौजूदा खाते को भी एनपीए घोषित किया जा सकता है और आपकी संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। बैंक आपको पहले नोटिस भेजेगा और फिर वसूली एजेंट आपके घर आ सकते हैं। इससे आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप ईएमआई समय पर भरें।
रिकवरी प्रक्रिया में बदलाव
आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे कर्ज वसूली के लिए नए और पारदर्शी तरीके अपनाएं। अब बैंक कर्जदार से सीधे संपर्क कर सकते हैं और डिजिटल माध्यम से रिमाइंडर भेज सकते हैं। इसके अलावा अगर कर्जदार बार-बार टालमटोल करता है तो बैंक रिकवरी एजेंट भेज सकते हैं लेकिन एजेंट को ग्राहक के साथ अभद्रता नहीं करनी होगी। उन्हें सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक ही संपर्क करना होगा और किसी भी तरह का मानसिक उत्पीड़न नहीं कर सकते। इस नियम का पालन न करने पर बैंक और रिकवरी एजेंट दोनों पर कार्रवाई हो सकती है।
बैंकों को मिली अतिरिक्त शक्ति
आरबीआई की नई गाइडलाइन से बैंकों को अतिरिक्त शक्तियां मिल गई हैं। अब वे बिना कोर्ट की अनुमति के भी संपत्ति जब्त कर सकते हैं अगर वह लोन के लिए गिरवी रखी गई हो। यह सिर्फ उन मामलों में लागू होगा जहां कर्जदार ने कई बार नोटिस के बाद भी ईएमआई नहीं चुकाई हो। इसके अलावा बैंकों को यह भी हक मिलेगा कि वे कर्जदार के खाते को फ्रीज कर सकें या उसमें से सीधे राशि काट सकें। हालांकि इसके लिए उन्हें आरबीआई की अन्य शर्तों को पूरा करना होगा और उचित दस्तावेज दिखाने होंगे। इससे बैंकों की रिकवरी प्रक्रिया पहले से ज्यादा प्रभावी हो जाएगी।
ग्राहकों को क्या करना चाहिए
अगर आपने कोई लोन लिया है तो सबसे पहले उसे समय पर चुकाने की योजना बनाएं। हर महीने की ईएमआई का रिमाइंडर सेट करें और जितनी जल्दी हो सके उसे भर दें। अगर किसी महीने में दिक्कत आ रही है तो तुरंत बैंक से संपर्क करें और स्थगन या पुनर्गठन की योजना के बारे में बात करें। कई बार बैंक थोड़े समय के लिए राहत दे सकते हैं लेकिन उसके लिए आपको पहले बताना जरूरी है। अगर आप बिना बताए डिफॉल्ट करते हैं तो यह आपके रिकॉर्ड पर बुरा असर डालेगा और भविष्य में कोई भी बैंक आपको लोन देने से इनकार कर सकता है।
क्रेडिट स्कोर पर प्रभाव
आरबीआई की गाइडलाइन लागू होते ही उन लोगों पर असर पड़ेगा जो लापरवाही से लोन लेते हैं और समय पर भुगतान नहीं करते। आपका सिबिल स्कोर आपकी वित्तीय साख को दर्शाता है और किसी भी बैंक लोन में यह सबसे महत्वपूर्ण होता है। अगर यह स्कोर 750 से नीचे चला गया तो फिर कोई भी बैंक आसानी से लोन या क्रेडिट कार्ड नहीं देगा। इसके अलावा आपको किसी सरकारी योजना का लाभ लेने में भी परेशानी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि आप हर भुगतान को गंभीरता से लें और कोई भी लापरवाही न करें वरना भविष्य में वित्तीय संकट झेलना पड़ सकता है।
अस्वीकृति
यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। आरबीआई की गाइडलाइन समय-समय पर बदलती रहती हैं और इनका असर अलग-अलग बैंकों की नीतियों पर निर्भर करता है। किसी भी प्रकार के लोन, ईएमआई या डिफॉल्ट की स्थिति में अपने बैंक या वित्तीय सलाहकार से संपर्क करें। यह लेख किसी भी कानूनी या वित्तीय सलाह का विकल्प नहीं है। यहां दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों और सरकारी अधिसूचनाओं पर आधारित है। कृपया कोई भी निर्णय लेने से पहले संबंधित संस्थान से पुष्ट जानकारी अवश्य प्राप्त करें।