WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

पिता की संपत्ति पर बेटियों का हक खत्म? जानिए सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसले की पूरी सच्चाई!

Published On:
father property daughter claim

भारत में पारिवारिक संपत्ति को लेकर विवाद आम हैं, लेकिन जब मामला बेटी के हक से जुड़ा हो, तो भावनात्मक और सामाजिक पहलू और भी गहरे हो जाते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे केस में फैसला सुनाया है, जिससे यह बहस फिर से तेज हो गई है—क्या बेटियों को अब पिता की संपत्ति में अधिकार मिलेगा या नहीं?

मामला क्या है?

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

एक महिला ने अपने मृत पिता की अचल संपत्ति पर अधिकार जताते हुए कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। महिला का कहना था कि वह हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत पिता की संपत्ति में हिस्सेदार है। लेकिन कोर्ट ने तथ्यों की गहराई से जांच करते हुए यह फैसला सुनाया कि मामला इतना सीधा नहीं है।

कोर्ट की दलील

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अगर संपत्ति स्व-अर्जित (self-acquired) है, यानी पिता ने अपनी मेहनत से उसे कमाया है, तो वह उसे अपनी मर्जी से किसी को भी दे सकते हैं—बेटा, बेटी, पत्नी या बाहर का कोई भी व्यक्ति। ऐसे में बेटी का उस पर स्वतः कोई कानूनी अधिकार नहीं बनता, जब तक कि वसीयत (Will) में उसका नाम न हो।

क्या कहता है कानून?

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के 2005 संशोधन में बेटियों को बेटों के बराबर का अधिकार दिया गया था, लेकिन इसका दायरा केवल पैतृक संपत्ति (ancestral property) तक सीमित है। अगर पिता की मृत्यु 9 सितंबर 2005 के बाद होती है और संपत्ति पैतृक है, तब बेटी को बराबरी का हिस्सा मिलेगा।

फैसले की मुख्य बातें

  • अगर संपत्ति स्व-अर्जित है और पिता ने वसीयत बना दी है, तो बेटी का अधिकार सीमित है।
  • पैतृक संपत्ति में, बिना वसीयत के, बेटी को पूरा हक मिलेगा।
  • अगर पिता की मृत्यु 2005 से पहले हुई है, तो बेटी को समान अधिकार नहीं मिल सकता।
  • कोर्ट ने यह भी कहा कि स्व-अर्जित संपत्ति पर उत्तराधिकार का दावा तभी टिकेगा जब कोई वसीयत या उत्तराधिकार प्रमाण नहीं हो।

बेटियों को क्या ध्यान रखना चाहिए?

अगर आप पिता की संपत्ति पर हक जताना चाहती हैं, तो पहले यह जानना जरूरी है कि:

  • संपत्ति की प्रकृति क्या है – पैतृक या स्व-अर्जित
  • पिता की मृत्यु किस वर्ष में हुई
  • कोई वसीयत मौजूद है या नहीं
  • क्या परिवार में संपत्ति का कोई कानूनी बंटवारा हुआ है

इन जानकारियों के आधार पर ही आप अदालत में दावा पेश कर सकती हैं।

क्या हर बेटी को होगा असर?

नहीं। यह फैसला उन मामलों पर लागू होता है जहां:

  • संपत्ति स्व-अर्जित हो
  • पिता ने वसीयत बनाई हो
  • पिता की मृत्यु 2005 से पहले हुई हो

अगर मामला पैतृक संपत्ति का है और पिता की मृत्यु संशोधन के बाद हुई है, तो बेटी को पूर्ण अधिकार प्राप्त हैं।

सामाजिक प्रतिक्रिया और सवाल

इस फैसले के बाद सोशल मीडिया और समाज में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कई लोग कोर्ट के निर्णय को कानूनी दृष्टि से सही मानते हैं, जबकि कुछ इसे बेटियों के अधिकारों पर सीधा प्रहार कह रहे हैं।

निष्कर्ष

नहीं। यह कहना पूरी तरह गलत होगा कि बेटियों को अब पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा। अदालत ने सिर्फ यह स्पष्ट किया है कि संपत्ति की प्रकृति और वसीयत की स्थिति को देखकर ही अधिकार तय होगा। यह फैसला सभी पर लागू नहीं होता, बल्कि यह मामला-विशेष पर आधारित है।

इसलिए अगर आप बेटी हैं और अपने अधिकार को लेकर असमंजस में हैं, तो किसी योग्य वकील से सलाह लेकर अपने केस की स्थिति समझना सबसे बेहतर रहेगा।

Follow Us On

Rajendra Kumar Patel

Rajendra Kumar Patel

मैं राजेंद्र पटेल हूँ, वर्तमान में अपनी बी.ए. की पढ़ाई कर रहा हूँ और हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में अपने कौशल को निखार रहा हूँ मुझे पाठकों से जुड़ने वाली और समझने में आसान सामग्री बनाने का शौक है। नई - नई और रोमांचक जानकारी के लिए नियमित रूप से इस वेबसाइट पर विजिट करें

4 thoughts on “पिता की संपत्ति पर बेटियों का हक खत्म? जानिए सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसले की पूरी सच्चाई!”

  1. यह फैसला किस केस में आया है कृपया करके नाम और की संख्या बता दीजिए

    Reply

Leave a Comment