Supreme Court : अगर आपकी ज़मीन पर किसी ने ज़बरदस्ती कब्जा कर रखा है और आप सालों से अदालतों के चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं, तो अब राहत की खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में साफ कहा है कि वैध मालिक को अपनी संपत्ति से अवैध कब्जा हटवाने के लिए अब अदालत जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी — कुछ शर्तों के तहत वो खुद भी कार्रवाई कर सकता है।
कब और कैसे कर सकते हैं अवैध कब्जा खाली?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि यदि आपके पास संपत्ति का वैध टाइटल मौजूद है, तो आप उस पर जबरन कब्जा करने वाले व्यक्ति को हटवा सकते हैं — वो भी बिना अदालत या पुलिस की मदद लिए। इसके लिए आपकी मालिकाना स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए, यानी नाम से रजिस्ट्री, दाखिल-खारिज आदि दस्तावेज मौजूद हों।
यह भी बताया गया है कि यदि कब्जाधारी 12 साल से अधिक समय से ज़मीन पर बना हुआ है और आपने उस दौरान कोई कानूनी दावा नहीं किया, तो मामला जटिल हो सकता है। ऐसी स्थिति में “Adverse Possession” का सिद्धांत लागू हो सकता है, जिसमें पुराने कब्जे को वैध माना जा सकता है।
क्या कानून कहता है?
संपत्ति विवादों से निपटने के लिए “स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट, 1963” एक महत्वपूर्ण कानून है। इसकी धारा 5 के तहत, आप अपने वैध अधिकार के आधार पर किसी भी अवैध कब्जे को हटाने की मांग कर सकते हैं। अगर मामला अदालत में जाता है, तो आप सबसे पहले स्टे ऑर्डर की मांग कर सकते हैं ताकि कब्जाधारी न तो निर्माण कर सके, न ही किसी को बेच सके।
अगर धोखे से किया गया कब्जा, तो कौन सी धाराएं लगेंगी?
- धारा 406 IPC: जब कोई आपकी संपत्ति पर विश्वासघात करके कब्जा करता है।
- धारा 420 IPC: जब फर्जी दस्तावेजों या धोखाधड़ी से संपत्ति हड़पने की कोशिश की जाती है।
- धारा 467 IPC: नकली दस्तावेज तैयार करने या उनका इस्तेमाल करने के मामलों में लागू होती है।
ये सभी अपराध संज्ञेय और गैर-समझौतावादी होते हैं, यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ्तारी कर सकती है और समझौता नहीं किया जा सकता।
सावधानी और सलाह
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से संपत्ति मालिकों को अधिकार ज़रूर मिले हैं, लेकिन बलपूर्वक कब्जा हटाने की प्रक्रिया करते समय कानूनी सीमाओं का पालन करना बेहद ज़रूरी है। ज़रा सी चूक से मामला उल्टा भी पड़ सकता है।
इसलिए, किसी भी कदम से पहले दस्तावेज़ों की जांच करवा लें और जरूरत पड़ने पर वकील से सलाह जरूर लें। यह फैसला आपको अपने हक़ के लिए खड़े होने की ताकत जरूर देता है — पर सही तरीके से।
Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी कानूनी कदम से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ वकील से परामर्श लेना आवश्यक है।